Saturday, May 17, 2008

नये जाब के लिये तैयारी कैसे करें

इतना तो आपको पता ही है कि किसी भी प्रकार की आजीविका (जाब - job) के लिये एक रिज्यूम (resume) देना होता है, आपने भी कई बार दिया होगा। किन्तु शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि सभी जाब (job) के लिये एक समान घिसे-पिटे रिज्यूम (resume) देने से उसका प्रभाव बिल्कुल नहीं, या नहीं के बराबर, पड़ता है। सभी के लिये एक टाइप के रिज्यूम को प्रायः पढ़े बिना ही रिजेक्ट फाइल में लगा दिया जाता है। एक शानदार जाब के लिये आपका रिज्यूम ऐसा होना चाहिये कि उसे पढ़ कर पढ़ने वाले को महसूस हो कि यह वो रिज्यूम है जैसा कि मैं चाहता था आपके रिज्यूम से आपका व्यक्तित्व और आपकी बुद्धिमत्ता झलकनी चाहिये।

रिज्यूम क्या होता है?

  • रिज्यूम को हम एक बिक्री पत्र (Sale Letter) मान सकते हैं जो आपकी विद्या, गुण, निपुणता, कार्यकुशलता (skills) और अनुभवों को अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से जाब प्रदान करने वाले के समक्ष प्रस्तुत करता है।
    यदि आप में विद्या, गुण, निपुणता, कार्यकुशलता (skills) और अनुभव सभी कुछ है किन्तु आप में यह बताने की क्षमता नहीं है कि एक अच्छे जॉब के लिये समस्त आवश्यक गुण आप में है तो आपके सारे गुण बेकार सिद्ध हो जाते हैं। अच्छा रिज्यूम वह होता है जिसको पढ़ कर पढ़ने वाला प्रभावित हो जाने के लिये विवश हो जाये
    अतः जब कभी भी आप अपना रिज्यूम लिखें तो सबसे पहले स्वयं को उस विशिष्ट जॉब जिसके लिये आप आवेदन करने जा रहे हैं तथा जाब प्रदान करने वाले के द्वारा चाही गई आवश्यकताओं (requirements) के प्रति केन्द्रित कर लेना चाहिये।
    रिज्यूम लिखते समय ध्यान देने वाली आवश्यक बातें
    स्वयं के विषय में तथ्य तथा आँकड़े: एक आवेदक के तौर पर आप जाब प्रदान करने वाले को स्वयं के विषय में जानकारी ही देते हैं। अतः रिज्यूम लिखते समय आप अपने विषय में सारे तथ्य तथा आँकड़ों को संग्रहित कर लें। किसी अलग कागज पर सारे तथ्य तथा आँकड़ों को लिख लेना चाहिये ताकि कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी छूट न जाये।
    व्यक्तिगत जानकारी: अपने रिज्यूम की शुरुवात अपने विषय में व्यक्तिगत जानकारी देने से करें। कागज के बाँयीं ओर वाली ऊपरी हिस्से (top left) में मोटे (bold) अक्षरों में अपना नाम टाइप करें। फिर अपना वर्तमान पूरा पता (यदि अस्थायी तथा स्थायी दो पते हैं तो दोनों ही), सम्पर्क विवरण जैसे कि फोन नम्बर, मोबाइल नम्बर, ई-मेल पता आदि की जानकारी दें। शीर्षक के रूप में 'RESUME', 'BIODATA' आदि टाइप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। सिर्फ आपका नाम ही काफी है।
    विषय (Objective): विषय के रूप में एक संक्षिप्त कथन (statement) लिखें जो कि आपके रिज्यूम को पढ़ने वाले को आपके कैरियर के उद्देश्य (career goals) के बारे में जानकारी दे। विषय के अन्तर्गत निम्न बातें शामिल होनी चाहिये:
    एक सामान्य या विशिष्ट जाब टाइटिल जैसे कि 'कम्प्यूटर आपरेटर' 'ग्राफिक डिजाइनर' आदि।
    यदि चाहें तो अपनी योग्यताओं के विषय में विषय में अतिसंक्षिप्त जानकारी।
    शैक्षणिक योग्यताएँ: फिर इसके बाद अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के विषय में पूर्ण जानकारी दें।
    विशेष योग्यताएँ: शैक्षणिक योग्ताओं के बाद अपनी विशेष योग्यताओं के विषय में जानकारी दें।
    अन्य योग्यताएँ: अपनी अन्य योग्यताओं जैसे कि कम्प्यूटर का ज्ञान, आधुनिक टेक्नालाजी के विषय में ज्ञान आदि के विषय में उल्लेख करना करें।
    अनुभवों का विवरण: आप वर्तमान में क्या कर रहे हैं, विगत वर्षों में आपने कब-कब क्या-क्या किया है, अन्य संस्थाओं में आपकी क्या उपलब्धियाँ रही हैं आदि की पूर्ण जानकारी अवश्य ही दें।
    अन्य गतिविधियाँ (Extra Caricular Activities): अपनी अन्य गतिविधियाँ जैसे कि खेल-कूद (sports), भाषण तथा वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि में भी अपनी उपलब्धियों के विषय में अवश्य बतायें।
    समस्त प्रमाणपत्रों (certificates) की प्रतिलिपियाँ नत्थी करना बिल्कुल न भूलें।
    पूर्ण ईमानदारी (honesty) बरतें, कोई भी झूठी जानकारी न दें।
    हिज्जों तथा व्याकरण की गलतियाँ (spelling & grammatical mistakes) बिल्कुल न करें।
    स्वच्छता का पूरा पूरा ध्यान रखें।
    उचित समय में अपना आवेदन प्रस्तुत करें, अन्तिम तारीख तक प्रतीक्षा न करें।


सौजन्यः career.agoodplace4all.com

Monday, May 12, 2008

जानिये आपरेटिंग सिस्टम के बारे में...

किसी कम्प्यूटर को चलाने में आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। दरअसल यह हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। कम्प्यूटर हमारी भाषा नहीं समझता, वह केवल मशीनी भाषा को ही समझता है जबकि हम कम्प्यूटर की भाषा को नहीं जानते। फिर हमारे और कम्प्यूटर के बीच सम्बंध को बनाये रखने वाला दुभाषिया कौन है? - यही अपना आपरेटिंग सिस्टम। यह हमारी भाषा को समझ कर उसे कम्प्यूटर की भाषा में बताता है और कम्प्यूटर की भाषा को हमारी भाषा में परिवर्तित कर के हमें समझाता है।

वैसे तो कोई भी व्यक्ति यह जाने बिना कि आपरेटिंग सिस्टम क्या है, कैसे कार्य करता है, इसकी उपयोगिता क्या है बड़ी आसानी के साथ कम्प्यूटर का प्रयोग कर सकता है किन्तु उसके लिये यह और भी अच्छी बात होगी कि वह इस बातों को जान ले।

आपरेटिंग सिस्टम क्या है

यह कहा जा सकता है कि कम्प्यूटर सिस्टम के हार्डवेयर रिसोर्सेस (Hardware Resources), जैसे- मेमोरी (Memory), प्रोसेसर (Processor) तथा इनपुट-आउटपुट डिवाइसेस (Input-Output Divices) को व्यवस्थित करने के लिये बनाया गया सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) ही आपरेटिंग सिस्टम होता है। यह व्यवस्थित रूप से जमे हुए सॉफ्टवेयर्स का समूह होता है जो कि आंकडो (data) एवं निर्देश (commands) को नियंत्रित करता है। कम्प्यूटर के प्रत्येक रिसोर्स की स्थिति का लेखा - जोखा आपरेटिंग सिस्टम ही रखता है, आपरेटिंग सिस्टम ही निर्णय करता है कि किसका, कब और कितनी देर के लिए कम्प्यूटर रिसोर्स पर नियंत्रण होगा।

आपरेटिंग सिस्टम क्यों आवश्यक है

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आपरेटिंग सिस्टम हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। इसके अलावा यह हार्डवेयर्स (Hardwares) तथा सॉफ्टवेयर्स (Softwares) के मध्य एक सेतु का कार्य भी करता है। आपरेटिंग सिस्टम के बिना कम्पयूटर का अपने आप मे कोई अस्तित्व ही नही है। यदि आपरेटिंग सिस्टम न हो तो कम्प्यूटर अपने हार्डवेयर्स जैसे कि कुंजीपटल (Keyboard), मानिटर (Monitor), सीपीयू (CPU) आदि के बीच कभी भी सम्बंध स्थापित नहीं कर पायेगा। आपरेटिंग सिस्टम किसी कम्प्यूटर प्रयोग करने वाले को इस जहमत से बचाता है कि वह कम्यूटर के समस्त भागो की जानकारी रखे।

आपरेटिंग सिस्टम के कार्य

आपरेटिंग सिस्टम अनेक प्रकार के उपयोगी कार्य करता है जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य नीचे दिये जा रहे हैं:
  • फाइल पद्धति (File System) - फाइल बनाना, मिटाना तथा फाइलों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना और फाइल निर्देशिका को व्यवस्थित करना।

  • प्रक्रिया (Processing) - कार्यक्रमों (Programs) और आँकडों (Data) को मेमोरी मे बाँटना, प्रक्रिया (Process) को आरम्भ करके समुचित रूप से चलाना।

  • इनपुट/आउटपुट (input/output) - सीपीयू और मानिटर (Monitor), प्रिंटर (Printer), डिस्क (Disk) आदि के बीच मध्यस्थता करना।
आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार

वैसे तो विभिन्न कालों में विभिन्न आपरेटिंग सिस्टमों का निर्माण हुआ पर प्रमुख रूप से प्रयोग किये जाने वाले लोकप्रिय आपरेटिंग सिस्टम की सूची नीचे दी जा रही है:
  • लिनक्स (Linux)
  • मैक एस (MacOS)
  • एमएस डाज (MS-DOS)
  • आईबीएम ओएश/2 (IBM OS/2)
  • यूनिक्स (Unix)
  • विन्डोज सीई (Windows CE)
  • विन्डोज 3.x (Windows 3.x)
  • विन्डोज 95 (Windows 95)
  • विन्डोज 98 (Windows 98)
  • विन्डोज 98 एस ई (Windows 98 SE)
  • विन्डोज एमई (Windows ME)
  • विन्डोज एनटी (Windows NT)
  • विन्डोज 2000 (Windows 2000)
  • विन्डोज एक्सपी (Windows XP)
  • विन्डोज व्हिस्टा (Windows Vista)
सौजन्यः आइये कम्प्यूटर सीखें।

Sunday, May 11, 2008

पीसी के रख-रखाव के लिये ध्यान देने योग्य बातें!

अधिकतर लोग कम्प्यूटर खरीद तो लेते हैं किन्तु उसके रख-रखाव के लिये कभी भी ध्यान नहीं देते। यहाँ पर हम कुछ उन छोटी छोटी बातों का उल्लेख करेंगे जिससे आपका पीसी हमेशा टिप-टॉप बना रहे।

  • वैसे तो कम्प्यूटर के लिये यूपीएस (UPS - Uninterrupted Power Supply) का इस्तेमाल करना ही चाहिये किन्तु यदि आपके क्षेत्र में अक्सर बिजली चली जाती है तो आप अपने कम्प्यूटर के लिये यूपीएस को अत्यावश्यक ही समझें।

  • हम अपने कम्प्यूटर के कैबिनेट, मॉनीटर, कीबोर्ड, माउस की सफाई तो प्रायः करते हैं किन्तु पीसी को ठंडा रखने वाले पंखे (cooling fans) की सफाई की ओर हमारा ध्यान जाता ही नहीं है जबकि यह सबसे अधिक आवश्यक कार्य है। यदि धूल, गंदगी आदि के कारण से पंखा चलना बंद हो गया तो आपके कम्प्यूटर के पॉवर सप्लाय, ग्राफिक्स कॉर्ड, सीपीयू (CPU - Central Processing Unit) को भारी क्षति पहुँचने का अंदेशा रहता है। इसलिये यदि आप अपने पीसी के पंखे की सफाई यदि स्वयं करना नहीं जानते तो समय समय पर (कम से कम तीन माह में एक बार) अपने सर्विस प्रोव्हाइडर से पंखे की सफाई करवाते रहिये।

  • अपने हार्डवेयर्स के लिये सही और नवीनतम ड्रायव्हर्स का ही प्रयोग करें। ड्रायव्हर्स के अपडेट हार्डवेयर बनाने वाली कंपनी के वेबसाइट में मुफ्त में उपलब्ध होता है।

  • अपने कम्प्यूटर को हमेशा सही अर्थिंग दें, दो पिन वाले प्लग प्रयोग न करें बल्कि अर्थिंग वाले तीन पिन वाले प्लग का ही प्रयोग करें। आवश्यक हो तो अपने इलैक्ट्रिशियन से चेक करवा लें कि सही अर्थिंग मिल रहा है या नहीं।
सौजन्यः आइये कम्प्यूटर सीखें!

Saturday, May 10, 2008

हैप्पी मदर्स डे

माँ जो कि दुनिया का सबसे छोटा शब्द है पर इसका ओहदा इतना बड़ा है कि माँ की तुलना भगवान से की जाती है। माँ जो हमें जन्म देती है और इतना काबिल बनाती है कि हम अपने पैरो पर खड़े हो सके। मुझे जब पहले मालूम नही था कि मदर्स डे भी मनाया जाता है तो मै हमेशा सोचती थी कि मम्मी लोगों के लिये कोई न कोई दिन होना चाहिये जिसे हम उनके नाम पर सेलिब्रेट कर सके पर जब पता चला तो मुझे बहुत खुशी हुई। मैनें अपनी मम्मी को गिफ्ट दिया और उनसे आशीर्वाद लिया। ये तो हुई पिछले साल की बात क्योंकि मुझे पिछले साल ही पता चला कि मदर्स डे मनाया जाता है इस साल भी मैं अपनी मम्मी को गिफ्ट दूंगी। आप भी अपनी मम्मी को सर्प्राइस गिफ्ट दीजियेगा और ये देखियेगा कि वो कितनी खुश हो जाती है। रिश्ता चाहे माँ-बेटे का हो या माँ-बेटी का होता तो एक ही है माँ सभी के लिये एक होती है।

तो भई, हफ्तों की थकान, महीनों की टेंशन और सारी चिंतायें भूलकर आज यानि 11 मई को मदर्स डे सेलिब्रेट कीजिये बड़े जोर-शोर से अपनी मम्मी को खुश कीजिये एक प्यारा सा तोहफा लीजिये और उन्हें देकर उनका आशीर्वाद और उनकी दुआयें प्राप्त कीजिये। कहते है माँ की दुआ हमेशा काम आती है तो फटाफट जाइयें कोई गिफ्ट कार्नर। एक प्यार सा गीत है जो माँ के लिये ही है

क्या आप सुनेंगे नहीं?




आप सभी को मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनायें!!

मेरा ब्लोग महान!!!

अरे जनाब! क्या आप अपने ब्लोग की महानियत नही दर्शाना चाहते है? तो क्या करेंगे आप कि आप गर्व से कह सके - "मेरा ब्लोग महान!"
चलिये छोड़िये आप तो कुछ न कुछ करेंगे ही पर मै बेचारी लेखों की मारी क्या करुंगी कि कह सकूं "मेरा ब्लोग महान"। मैं ब्लोगवानी में आप सभी की अतरंग ब्लागर साथी बनकर रहना चाहती हूं। देखिये भई मैं आप लोगों की तरह श्रेष्ठ लिख्खाड़ तो नहीं हूं पर थोड़ा बहुत तो लिख ही लेती हूं, मुझे कोई विशेष रूचि नहीं थी लिखने-लिखाने में पर जब से अंतर्जाल से संबंध जुड़ा है इसकी ओर रूचि लेने लगी हूं। चुकिं मैं नई सदस्य हूं इसके लिये मुझे वेलकम रिस्पांस भी मिला है मुझे बहुत खुशी हुई, पर मैं बात कर रही थी कि मैं क्या करूंगी के मैं कह सकूं "मेरा ब्लोग महान"। मैंने इतना अनुभव किया है कि अगर ब्लोग में दुख से लेकर व्यंग्य तक की सारी साहित्यिक रचनाएँ और एक झक्कास शीर्षक हो तो लोग उसे पढने मे रूचि लेते है मै स्वयं भी आकर्षक शीर्षको और विशेष रुप से व्यंग्य शीर्षकों को देखकर सबसे पहले पढती हूं तो मैं अवश्य प्रयास करूंगी मेरा ब्लोग अभियान में पर लगता है आप तो प्रोसेस में है ठीक है लगे रहिये मेरा ब्लोग अभियान में!! मैं नई सदस्य हूं इसलिये कहना चाहती हूं कि हिन्दी ब्लॉगो को बढाने में मै संपूर्ण योगदान दूंगी और यह कोशिश भी करूंगी कि अधिक से अधिक ब्लोगर्स जुटा सकूं।

अरे!! अरे!! रुकिये कहाँ जा रहे है जाते-जाते बताइये तो जरा क्या आप कह सकते है -
"अंतर्जाल में ब्लोगवानी का जहान्।
जिसमें मेरा ब्लोग महान।"

Friday, May 9, 2008

चालू होते ही कम्प्यूटर क्या करता है!

byजी.के. अवधिया

जब आप स्टार्ट बटन (start button) दबा कर अपने कम्प्यूटर (computer) को चालू करते हैं तो कम्प्यूटर (computer) में सिलसिलेवार प्रक्रियाएँ आरम्भ हो जाती हैं जिसे कि बूटिंग (booting) के नाम से जाना जाता है। बूटिंग (booting) दो चरणों में होती है जिसके प्रथम चरण में कम्प्यूटर (computer) पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On Self Test) करता है अर्थात् स्वयं को जाँचता-परखता है और दूसरे चरण में आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) को लोड (Load) करता है।

कम्प्यूटर (computer) के सभी अवयव सही-सही कार्य कर रहे हैं इस बात को परखने की एक श्रृंखलाबद्ध जांच प्रक्रिया (a series of tests) को पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On Self Test) कहा जाता है :

  1. सर्वप्रथम सी.पी.यू. (C.P.U.) अर्थात् सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (central processing unit) स्वयं को पुनर्स्थापित (reset) करता है।

  2. सी.पी.यू. (C.P.U.) स्वयं को जाँचता है और बयास (Bios) में स्थित मेमोरी (Memory) के प्रोग्राम्स (programs) को शुरू करता है।

  3. फिर बयास (bios) में स्थित कोड्स (codes) की सहायता से सभी घटकों (components) की जाँच करता है।

  4. फिर राइटिंग और रीडिंग (writing and reading) करके डीरैम (DRAM) की जाँच होती है।

  5. तत्पश्चात की-बोर्ड (keyboard) की जाँच होती है कि वह सही ढ़ंग से जुड़ा है या नही

  6. उसके बाद फ्लॉपी ड्राइव (floppy drive) और हार्ड ड्राइव (Hard drive)की जाँच की जाती है।

  7. फिर जाँच की जाती है कि माउस (mouse) जुड़ा है या नही।

  8. अंततः जाँच से प्राप्त डाटा (data) का बयास (bios) में कॉन्फिगर्ड डाटा (configured data) से मिलान किया जाता है।

  9. किसी भी प्रकार की गलती पाने पर कम्प्यूटर (computer) एरर मेसेज (error messege) देता है और यदि सभी कुछ ठीक-ठाक मिले तो आपरेटिंग सिस्टम (operating system) को लोड करने की प्रक्रिया आरंभ कर देता है।

आपरेटिंग सिस्टम (operating system) लोड होना

  1. सी.पी.यू. (C.P.U.) आपरेटिंग सिस्टम को फ्लॉपी (floppy), सी.डी. (CD) तथा हार्ड ड्राइव (hard drive) में खोजता है।

  2. आपरेटिंग सिस्टम के मिल जाने पर उसके भीतर स्थित बूट रेकार्ड को डीरैम (DRAM) में स्थानांतरित करता है।

  3. आपरेटिंग सिस्टम (operating system) के लोड हो जाने तक यह प्रक्रिया जारी रहती है।

  4. आपरेटिंग सिस्टम (operating system) पूर्णतः लोड हो जाने के बाद डेस्कटॉप दिखाई पड़ने लगता है और कम्प्यूटर (Computer) उपयोग करने लायक बन जाता है।

जी.के. अवधिया हिन्दी के प्रति समर्पित लेखक है उनका वेबसाइट है - हिन्दी वेबसाइट

Article Source: हिंदी वेबसाइट कृति निर्देशिका