Saturday, May 10, 2008

मेरा ब्लोग महान!!!

अरे जनाब! क्या आप अपने ब्लोग की महानियत नही दर्शाना चाहते है? तो क्या करेंगे आप कि आप गर्व से कह सके - "मेरा ब्लोग महान!"
चलिये छोड़िये आप तो कुछ न कुछ करेंगे ही पर मै बेचारी लेखों की मारी क्या करुंगी कि कह सकूं "मेरा ब्लोग महान"। मैं ब्लोगवानी में आप सभी की अतरंग ब्लागर साथी बनकर रहना चाहती हूं। देखिये भई मैं आप लोगों की तरह श्रेष्ठ लिख्खाड़ तो नहीं हूं पर थोड़ा बहुत तो लिख ही लेती हूं, मुझे कोई विशेष रूचि नहीं थी लिखने-लिखाने में पर जब से अंतर्जाल से संबंध जुड़ा है इसकी ओर रूचि लेने लगी हूं। चुकिं मैं नई सदस्य हूं इसके लिये मुझे वेलकम रिस्पांस भी मिला है मुझे बहुत खुशी हुई, पर मैं बात कर रही थी कि मैं क्या करूंगी के मैं कह सकूं "मेरा ब्लोग महान"। मैंने इतना अनुभव किया है कि अगर ब्लोग में दुख से लेकर व्यंग्य तक की सारी साहित्यिक रचनाएँ और एक झक्कास शीर्षक हो तो लोग उसे पढने मे रूचि लेते है मै स्वयं भी आकर्षक शीर्षको और विशेष रुप से व्यंग्य शीर्षकों को देखकर सबसे पहले पढती हूं तो मैं अवश्य प्रयास करूंगी मेरा ब्लोग अभियान में पर लगता है आप तो प्रोसेस में है ठीक है लगे रहिये मेरा ब्लोग अभियान में!! मैं नई सदस्य हूं इसलिये कहना चाहती हूं कि हिन्दी ब्लॉगो को बढाने में मै संपूर्ण योगदान दूंगी और यह कोशिश भी करूंगी कि अधिक से अधिक ब्लोगर्स जुटा सकूं।

अरे!! अरे!! रुकिये कहाँ जा रहे है जाते-जाते बताइये तो जरा क्या आप कह सकते है -
"अंतर्जाल में ब्लोगवानी का जहान्।
जिसमें मेरा ब्लोग महान।"

11 comments:

Arun Arora said...

देखिये बाकी बाते ठीक है पर ये" महान " शब्द को हटाईये इस पर हमारा पेटेंट है, आलोक (पुराणिक अगडम, बगडम वाले) भी हमे अपने को दुनिया का महान व्यंगकार कहने से पहले रायलटी का चैक भेजते है :)

mamta said...

तृप्ति अब पहले ये तो तय हो जाए की कौन महान आप या अरुण जी। :)

PD said...

अजी हम भी हैं होड़ में.. परिवार और दोस्तों से संबंधित ब्लोग के लिए मैं अपने ब्लौग को महान कहता हूँ..
आप तो बस लिखते रहिये.. आपका ब्लौग भी महान ही है.. किस मायने में है ये आपको ही ढूंढ़ना परेगा.. :)
(अरे वाह.. एक बार फिर मैंने पंगेबाज से पंगेबाजी कर ली.. ही ही ही..) :D

dpkraj said...

शब्दों के तीर चलाने के लिये
कलम को धनुष
स्याही को बनाओ कमान
यूं तो आत्ममुग्ध लोग जगह जगह
करते हैं अपने गुणों का स्वयं बखान
स्वार्थ के लिये देते सभी एक दूसरे को मान
जो खामोशी से चलते अपने जीवन पथ पर
करते हैं जो दूसरों के संघर्ष वही बनते महान
...............................
दीपक भारतदीप

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

दूसरी चीजों पर ध्यान न दो बेटी, बस अपनी कम्यूटर क्लासेस जारी रखो. उससे ही हमारा भला होगा.

siddheshwar singh said...

शुभम

Rajesh Roshan said...

देखिये ब्लोग्गिंग करना एक टाइम पास करने जैसा है. यह लोग कभी इसे हिन्दी की सेवा टू कभी अपना ज्ञान देने में लगा देते हैं. मैं इन दोनों चीजो से इनकार नही करता. जो इच्छा हो वह करे लेकिन ब्लोग्गिंग करे. ५ साल बाद जब आप ख़ुद का लिखा पढेंगी तब मजा आएग
Rajesh Roshan

Arun Arora said...

अरे नही तृप्ती आप लिखते रहिये बेटा लेकिन पढाई के वक्त नही ,आप बहुत अच्छा लिखती है, इसे भी चलने देना ताकी हम बिना रायलटी लिये ही कह दे कि तृप्ती का ब्लोग महान :)

डॉ .अनुराग said...

likhti raho....bebak....vaise mahan log achha nahi likhte hai..

अजित वडनेरकर said...

सचमुच महान है....कम से कम शीर्षक तो है ही...
स्वागत है । लिखती रहें।

sushant jha said...

जै हो...